छात्र जीवन में असफलता के कारण
छात्र जीवन में असफलता के कारण
प्रिय छात्र , जैसा कि हम सभी जानते हैं। छात्र जीवन वह स्वर्णिम काल है जिसमें उमंगों तथा आकांक्षाओं का ऐसा मेल है जिसमें कुछ न कुछ पाने की आकांक्षा सभी को रहती है। इस समय विभिन्न प्रकार
की नई कल्पनाएँ अंकुरित होती है। इस समय सभी; वह चाहे परिवार हो अथवा समाज हो
सभी का ध्यान छात्र की ओर केंद्रित रहता है। कुछ जानने तथा कुछ बनने का सार्थक इसी समय में होता है। यही वह समय है जब उसके भाग्य और भविष्य निर्माण करने में निर्णायक
भूमिका अदा करेगी। इन्हीं दिनों सत्प्रवृति और सद्भावनाओं का अभ्यास करने से आगामी
समय सुख -शांति की संभावनाएं साकार होती है। स्वास्थ्य संरक्षण के दृष्टिकोण से भी
यह महत्वपूर्ण है। परन्तु , मित्रों आज -कल यह देख अथवा जानकार दुःख की अनुभूति होती है कि
हमारे समाज में पश्चमी सभ्यता का बोल- बाला इस कदर बढ़ता जा रहा है कि प्रायः अधिकतर
छात्र अपने संस्कारों को खोता हैतथाइसस्वर्णिमकालमें गलतआदत के वशीभूत होकरजा रहा
अपने नव आगंतुक भविष्य को डुबोता जारहा है , जो कहीं से भी न्यायोचित नहीं लगता।
इस से हमारा समाज तथा देश अराजकता के वशीभूत होता जारहा है।
आज हमारे छोटे -छोटे बच्चे जो हमारे समाज तथा भविष्य के निर्माता हैं वे भी अपने बड़ों के पदचिन्हों पर आगे बढ़ते जा रहे हैं जो कहीं से भी न्यायोचित नहीं लगता।
अतः प्रिय छात्रों उपर्युक्त बातों को कहने का मुख्य तातपर्य यह है कि आप अपने
आगामी भविष्य की चिंता करें और अपने- परिवार ,समाज तथा देश के प्रति
अपनी जिम्मेवारी को को समझते हुए एक मिशाल बनें ताकि आनेवाले नए छात्रों केलिए आप एक मार्गदर्शक बनें।
सहृदय धन्यवाद। - विवेका नन्द झा
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